इन मंदिरों में दीजिए 'धरना', हर मुराद होगी पूरी

1).भगवान शिव मंदिर

बहुत ही प्रचलित शब्द है 'धरना'। यह शब्द हम सभी ने अमूमन सुना है। लेकिन झारखंड में दो ऐसे मंदिर है, जहां 'भक्त' भगवान के सामने धरना देते हैं। यह धरना वह अपनी मनोकानापूर्ति के लिए करते हैं।


धरना देने के लिए मशहूर पहला मंदिर दुमका जिले में है। भगवान शिव के इस मंदिर में भक्त महीनों तक धरने पर बैठे रहते हैं।
आलम यह है कि कई भक्त यहां वर्षों से धरने पर बैठे हुए हैं। मंदिर में धरना दे चुके लोगों का मानना है कि मंदिर से सामने धरना देने से उनकी मनोकामनाएं और कई गंभीर बीमारियां ठीक हुई हैं। भगवान शिव का यह मंदिर 'बाबा बैद्यनाथ' के नाम से प्रसिद्ध है।

दूसरा मंदिर प्रदेश के ही कोडरमा जिले में है। यहां भक्त संतान प्राप्ति की मनोकामना पूर्ति के लिए धरना देते हैं और कुछ दिन बाद घर चले जाते हैं। यह मंदिर चंदवारा प्रखंड में, दोहमुहानी धाम के रूप में प्रसिद्ध है। यह मंदिर भी भगवान शिव का मंदिर है। जहां श्रावण माह में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

यह मंदिर दो नदियों के किनारे पर स्थित है। मंदिर की स्थापना 1972 में हुई थी। कहते हैं जो भी निः संतान दंपत्ति यहां सच्चे मन से अपनी मनोकामना लेकर यहां कुछ दिन धरना देता है। उसकी मुराद जरूर पूरी होती है।

2).महाकामना मंदिर

महाकामना मंदिर नेपाल में है। भगवती देवी मां दुर्गा का यह मंदिर यहां गोरखा जिले में स्थित है। मां भगवती जी देवी पार्वती की ही रूप हैं। यह मंदिर गोरखा शहर के दक्षिण में करीब 12 किमी दूरी पर है। मंदिर 1.302 मीटर यानी 4.72 फीट के क्षेत्र में यह मंदिर बनाया गया था। हालांकि वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप के चलते इस मंदिर को काफी क्षति पहुंची है।

कहते हैं इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी मनोवांछित फल की कामना करे तो उसकी वो मनोकामना जरूर पूरी होती है। यही कारण है कि यहा वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

यह मंदिर तक पोखरा शहर से 3-4 घंटे में पहुंचा जा सकता है। महामाया मंदिर का निर्माण गोरखा के राजा राम शाह ने 17वीं शताब्दी में बनवाया था। यह मंदिर चमत्कारी और आध्यात्मिक शक्तियों का केंद्र है।

मंदिर में एक ऐतिहासिक विशाल घंटा है। जो भी भक्त यहां आता है। वह यह घंटा जरूर बजाता है। मान्यता है कि इस घंटे को बजाने से उनकी मनोकामना पूरी होती है। मां के दर्शन के लिए आने वाले भक्त मां की पूजा, अबीर, केसर, फूल, धूप, दिया, लाल वस्त्र, फल, नारियल, मिष्ठान, घंटियां, अन्न और सुहाग के सामग्री जैसेः चूड़ियां, बिंदी, हार आदि मां के मंदिर में अर्पित करते हैं।

सदियों से चली आ रही यह प्रक्रिया अब एक परंपरा का रूप ले चुकी है। महामाया मंदिर का वास्तु के लिहाज से बनाया गया है। मंदिर का शीर्ष गुंबद ने होकर एक पगोड़ा की तरह है। मंदिर खंभो पर खड़ा है।

यहां नेपाल, भारत ही नहीं दुनिया के अन्य देशों के भक्त दर्शनार्थ आते हैं। भक्त यहां अपनी समस्याओं और दुःख लेकर आते हैं। और मां के समक्ष अपनी पीढ़ा बयां कर प्रसन्नता पूर्वक यहां से लौटते हैं। इस तरह उनके द्वारा मांगी गई मनोकामना जल्द ही पूरी हो जाती है।


Comments

Popular posts from this blog

लोग नहीं मानते कि उत्तर प्रदेश के हैं पीएम नरेंद्र मोदी : मायावती

अभी-अभी: सेना ने मचाई पाकिस्तान में तबाही, 15 पाक रेंजरो को सुलाया...पढ़े पूरी खबर...

जापान में मोदी का ऐलान – भारत को में बनूँगा सूपर पावर !